जिसे आम भाषा में आँख आना या पिंक आई कहा जाता है, एक प्रकार का आँखों का इंफेक्शन है। आँख आने पर आँखों में सूजन एवं लालिमा स्पष्ट रूप से नज़र आती है। दरअसल हमारी आँखों की ऊपरी सतह पर कंजक्टिवा नाम की एक पतली झिल्ली मौजूद होती है, जो आँखों को सुरक्षित रखने के साथ ही इसे नमी भी प्रदान करती है। यदि किसी कारणवश उसे क्षति पहुँच जाए या उसमें धूल- मिट्टी या अन्य सूक्ष्म पदार्थ चिपक जाएं तो आँखों में इंफेक्शन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कंजक्टिवाइटिस प्रायः बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, पोलेन और धूल की वजह से होता है।
अलग-अलग प्रकार के कंजक्टिवाइटिस के अलग- अलग कारण होते हैं। कंजक्टिवाइटिस प्रायः बैक्टीरिया, वायरस, फंगस,परागण (पोलेन) और धूल की वजह से होता है।
कुछ लोगों को मौसम का बदलना अनुकूल नहीं होता है। गर्मी और बरसात के मौसम में आँख आने की समस्या अधिक होती है, क्योकि इस समय हमारी आँखें धूल- मिट्टी और पराग कण (पोलेन) के संपर्क में अधिक आती है।
इस प्रकार का आँख आना तब होता है जब हमारी आँखें वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के संपर्क में आती हैं। इस प्रकार के कंजक्टिवाइटिस के फैलने की संभावना बहुत अधिक होती है। अतः जरूरी है कि साफ सफाई का अधिक से अधिक ध्यान रखा जाए।
एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस आँखों के अधिक धूल या परागकण के संपर्क में आने से होता है और यह कंजक्टिवाइटिस सालों-साल रह सकता है।
जैसा की नाम से ही समझ आता है, इस प्रकार का कंजक्टिवाइटिस आँखों के किसी प्रकार के केमिकल के संपर्क में आने से होता है।
अलग- अलग प्रकार के कंजक्टिवाइटिस, लक्षण भी अलग- अलग प्रकार के दिखाते हैं ।
अगर सावधानियां बरतने के बावजूद भी आपको कंजक्टिवाइटिस की समस्या नज़र आती है, तो आपको तुरंत ही अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। आपके डॉक्टर आपको इस समस्या का सबसे सही उपचार का सुझाव देंगे।
मौसमी कंजक्टिवाइटिस कुछ ही समय तक रहती है। उपचार के पश्चात पूरी तरह ठीक हो जाती है। लेकिन एलर्जिक, इंफेक्टिव और केमिकल कंजक्टिवाइटिस में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती है।